सदस्य कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को एक तबादला बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि “एक देश, एक चुनाव” का विचार भारतीय संविधान पर हमला है और इसके बजाय वो आजकल की जरूरत को “एक देश, एक आय” की ओर बढ़ाने की आवश्यकता है।
एक देश, एक चुनाव का विचार एकमत्र चुनावों को पुनरावलोकन करने का एक प्रयास है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय चुनाव प्रक्रिया को संगठित और सुचना तंत्र में सुधार करना है। इसके अनुसार, एकमत्र चुनावों का आयोजन देश को जीवनकारी और समय की बचत करने में मदद करेगा, लेकिन यह भी संविधानिक प्रक्रिया और राजनीतिक स्वतंत्रता के सवालों को उठा सकता है।
दिग्विजय सिंह का तर्क है कि इस विचार का भारतीय संविधान पर हमला है क्योंकि यह राज्यों के स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर सकता है, जिन्हें अपने स्वतंत्रता के आधार पर चुनाव करने का अधिकार है। उनका दावा है कि भारतीय संविधान राज्यों के स्वतंत्रता और स्वायत्तता को संरक्षित करने का अधिकार देता है और इस विचार का अमल करने से संविधानिक संरक्षा पर खतरा हो सकता है।
उन्होंने इसके बजाय आजकल की जरूरत को “एक देश, एक आय” की ओर बढ़ने की आवश्यकता बताई है। इसका मतलब है कि उनका प्राथमिक ध्यान सामाजिक और आर्थिक समानता पर है, और उन्होंने एक समाजवादी मॉडल का प्रस्तावना किया है जिसमें हर नागरिक को समान आय की गारंटी होती है।
एक देश, एक आय का विचार भारतीय समाज के आर्थिक असमानता को कम करने का प्रयास है। यह विचार बात करता है कि हर किसी को उनकी कामयाबी और पूरी मेहनत के आधार पर एक समान आय प्राप्त होनी चाहिए।
इस तरह के विचारों के पीछे एक दिवसीय चुनावी प्रक्रिया को संविधानिक रूप से संविधान के खिलाफ मानने का तर्क है। यह चुनौती देने वाला विचार है जिसे दिग्विजय सिंह ने उठाया है और इसने राजनीतिक और संविधानिक चर्चाओं को फिर से प्रकट किया है।
इस तरह के तबादले के साथ, भारतीय राजनीति में विवादित मुद्दे और समाज में समाजवादी सुधारों की आवश्यकता का विचार फिर से उठ गया है। दिग्विजय सिंह के बयान ने चुनावी प्रक्रिया को न्यायिक, संविधानिक, और सामाजिक प्रतिबंधों के साथ जोड़ने की मांग की है, जिससे भारतीय समाज के लिए एक सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का मार्ग बन सकता है।
इस तरह के महत्वपूर्ण चर्चाओं के बावजूद, एक देश, एक चुनाव का विचार भारतीय राजनीति के साथ जुड़े संविधानिक और सियासी सवालों के साथ आगे बढ़ सकता है, जिससे एक महत्वपूर्ण और उलझनभरा मुद्दा बन सकता है जिस पर आने वाले समय में और विस्तार से चर्चा की आवश्यकता हो सकती है।