यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के खिलाफ आपत्ति जताई है और इसे एक स्वाराज्यवादी नीति के तौर पर कहा है। यह घटना राजनीतिक और कानूनी विवाद को बढ़ा देने वाली है और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्तिथि को और भी गरमाहट के साथ बढ़ा दिया है।
चंद्रबाबू नायडू, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष, के खिलाफ गिरफ्तारी का मामूला 2023 में हुआ। उन्हें एक आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया गया, जिसमें उनके आपत्तिजनक संपत्ति के मामले का जिक्र है।
अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री, ने इस घटना पर कड़ा रुख लिया है और इसे एक स्वराजवादी नीति का परिणाम माना है। उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी एक अत्याचारिक और प्रशासनिक नीति का परिणाम है, जिससे लोगों की आज़ादी को कमजोर किया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने इसके साथ ही यूपी सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह वाकई एक गंदी राजनीति का उदाहरण है, जिसमें सत्ता के लिए किसी की भी संपत्ति को बाधित किया जा सकता है।
चंद्रबाबू नायडू के पक्ष से, उनके समर्थक इस गिरफ्तारी को नकारते हैं और इसे राजनीतिक प्रतिष्ठा के हवाले से देख रहे हैं। उनका दावा है कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है और विपक्ष को दबाने का प्रयास है।
इस पूरे मामले में, यह बात भी ध्यान में रखने योग्य है कि चंद्रबाबू नायडू और अखिलेश यादव दोनों ही भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरे हैं और इसका प्रभाव बड़े पैमाने पर यूपी की सियासी परिस्थितियों पर हो रहा है।