G20 सम्मेलन के दौरान भारतीय शेफ कुणाल कपूर ने एक बड़ा मानववादी कदम उठाया। उन्होंने दुनिया के सबसे पुराने कुकबुक से एक पारंपरिक रेसिपी को नए रूप में पेश किया, जो इस समय के स्वाद के साथ-साथ मानवता के लिए एक संदेश भी था।कुणाल कपूर, जो भारतीय खाने के प्रेमिकों के बीच में पॉप्युलर हैं, ने यह अनूठा काम किया जब वह G20 सम्मेलन के एक आदर्श पैनल में बुलाए गए। उन्होंने वहाँ एक रेसिपी पेश की, जो दुनिया के सबसे प्राचीन कुकबुक से आई थी, और उसे आधुनिक तरीके से बनाने के तरीके को साझा किया।इस पारंपरिक रेसिपी का नाम था “समृद्धि की राह,” जिसमें अन्न, दाल, और सब्जियों का एक मिश्रण होता है। कुणाल कपूर ने इसे व्यंजनिक तरीके से तैयार किया और उसमें स्वाद में बदलाव किया, जिससे यह आधुनिक तरीके से बनने वाला था।इस घटना का उद्देश्य था दर्शाना कि हम अपने पारंपरिक भोजन को अपडेट करके उसे आधुनिकता के साथ बना सकते हैं और इसे विश्व के सभी लोगों के लिए सुलभ बना सकते हैं। इससे एक महत्वपूर्ण संदेश भी मिलता है कि खाने का अधिकार सभी को होना चाहिए, चाहे वह किसी भी भूमिका में हों।कुणाल कपूर के इस कदम से गास्ट्रोनॉमी की दुनिया में एक नया मिला था, जो हमें हमारे खाने के पारंपरिक मूल्यों को महत्व देने के साथ-साथ उन्हें आधुनिक बनाने का रास्ता दिखाता है। इससे यह साबित होता है कि खाना एक ऐसा माध्यम हो सकता है जिससे हम विश्व को एक साथ लाने का प्रयास कर सकते हैं और साझा कर सकते हैं।कुणाल कपूर के इस प्रयास ने G20 सम्मेलन में न केवल एक विशिष्ट व्यक्ति के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया, बल्कि एक नए दृष्टिकोण के साथ खाने की सामाजिक महत्वपूर्णता को भी प्रमोट किया। यह एक महत्वपूर्ण कदम था जो विश्व को सबके लिए स्वस्थ और सामृद्ध खाने का हक यथासंभाव बनाने की दिशा में जाता है।
इस तरह के प्रक्रिया और सोचने के तरीके के माध्यम से हम सभी अपने खाने को और भी सही और सुस्त बना सकते हैं, और इससे हम अपने समाज के अधिकांश के लिए सशक्त और स्वस्थ खाने का संदेश पहुंचा सकते हैं। G20 सम्मेलन में कुणाल कपूर द्वारा किया गया यह प्रयास इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है और खाने की दुनिया के लिए एक नया मानक स्थापित करता है।