भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का संवाददाता शक्तिकांत दास ने बताया है कि बैंक RBI का एक मुख्य लक्ष्य है कि वह मुद्रास्फीति (inflation) को 4% पर लाने का संकल्प रखता है। इसके अलावा, वह मूल्य जोखिमों (price risks) के प्रति भी सतर्क हैं।
मुद्रास्फीति के मामले में RBI ने अपनी पूरी निष्कर्षता को प्रकट किया है क्योंकि यह एक बहुत महत्वपूर्ण आर्थिक मामला है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि उनका उद्देश्य है कि वे मुद्रास्फीति को 4% के आस-पास लाने में सफल हों। मुद्रास्फीति की दर को कम करने का मुख्य कारण यह है कि इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
गवर्नर दास ने मुद्रास्फीति के साथ-साथ मूल्य जोखिमों के बारे में भी चिंता जताई हैं। वह बताते हैं कि मूल्य जोखिमें समय-समय पर आ सकती हैं और इससे आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। इसलिए वे उसे निगरानी में रखते हैं और समय-समय पर आवश्यक कदम उठाते हैं ताकि मूल्य जोखिमों का प्रबंधन किया जा सके।
RBI का यह उद्देश्य आर्थिक सुधार को प्राथमिकता देने का है और यह सुनिश्चित करने का है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे। मुद्रास्फीति कम होने से समय के साथ लोगों की खरीददारी में भी सुधार हो सकता है, जिससे उनके जीवन में भी सुधार आ सकता है।
इसके अलावा, RBI ने यह भी बताया है कि वे अपने निगराना के अंतर्गत अन्य आर्थिक पहलुओं का भी समर्थन कर रहे हैं जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
सारांश के रूप में, RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास के इस बयान से स्पष्ट होता है कि बैंक मुद्रास्फीति कम करने के प्रति पूरी तरह समर्पित है और मूल्य जोखिमों के साथ भी सतर्क है। यह सभी उनके मानने का प्रतीत होता है कि स्थिर मुद्रास्फीति और आर्थिक सुधार के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।