भारतीय मंत्री एस. जयशंकर ने व्यापक स्तर पर चर्चित एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात की है, जिसमें वे भारत की G-20 प्रेसिडेंस के दौरान आई चुनौतियों के बारे में बताते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के इस अवसर पर उत्तर-दक्षिण विभाजन और पूर्व-पश्चिम ध्रुवविदूतीकरण जैसी मुद्दियों का सामना करना पड़ा, जो इसे और भी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
भारत की जी-20 प्रेसिडेंस का कार्यकाल 2022 में था, और इस दौरान विशेष रूप से दुनिया के इस विद्वेष परिपक्षों के बीच उत्तर-दक्षिण विभाजन और पूर्व-पश्चिम ध्रुवविदूतीकरण ने भारत को कई संघर्षों का सामना करना पड़ा।
जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि यह विभाजन और पोलाराइजेशन सिर्फ भारत ही के साथ ही नहीं है, बल्कि यह ग्लोबल स्तर पर एक महत्वपूर्ण समस्या है, और इसका समाधान केवल एक देश के साथ-साथ बनाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने इसे समझने और समाधान करने का प्रयास किया है, और वे यह उम्मीद करते हैं कि इस प्रकार के समस्याओं का समाधान और सुलझाव आगे बढ़ सकेंगे। उन्होंने इस विचार में वैश्विक सहयोग की भी आवश्यकता को बताया और उम्मीद की व्यक्त की कि ग-20 जैसे मंच से सहयोग करने से इस समस्या का समाधान संभव हो सकता है।
इसमें समाहित होता है कि जी-20 के सदस्य देश एक साथ आकर समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिससे विश्व में सामाजिक और आर्थिक सामंजस्य को बढ़ावा मिल सकता है।