पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत चुनाव आमतौर पर सियासी प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, लेकिन इस बार कुछ असामान्य हुआ। एक लोकप्रिय भाषा में कहें तो इस चुनाव में ‘ममता-मोदी’ और ‘वाम-दक्षिण’ जैसे असामान्य जोड़े बने।
हाउड़ा, पूर्ब मेदिनीपुर और नदिया जिलों के चार ग्राम पंचायतों में यह असामान्य घटना देखी गई, जहां स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने मतदाताओं की “इच्छा” का पालन किया और वाम-दक्षिण के बावजूद एक साथ खड़े हो गए।
यह असामान्य समारोह वहां की सियासी समझ को दिखाता है जहां राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता न केवल अपने संगठनों के लिए, बल्कि भ्रष्टाचार को दूर रखने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
बंगाल के इन चार ग्राम पंचायतों में, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं ने सुप्रीमो ममता बैनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को एक साथ देखा। वे यह कहते हैं कि उनका लक्ष्य ग्राम पंचायत बोर्ड को भ्रष्टाचार से मुक्त रखने के लिए है, और वे मतदाताओं की इच्छा का पालन कर रहे हैं।
इस चुनाव में यह असामान्य साझेदारी कैसे बनी? यह प्रश्न बहुत सारे लोगों के मन में उठ रहा है। अगले कुछ पंक्तियों में, हम इस विषय पर गहरी जानकारी देंगे।
यहां के पार्टी कार्यकर्ताओं ने साझेदारी का फैसला तब लिया जब उन्होंने महसूस किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साथ खड़े होना उनके लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में “सामान्य दुश्मन” के खिलाफ एक नई स्ट्रैटेजी हो सकती है।
इन चार ग्राम पंचायतों में कुछ नेताओं ने बताया कि वे अपने संगठनों के सदस्यों के बीच एक साथ खड़े होने का फैसला लिया ताकि वे ग्राम पंचायत चुनावों में सशक्त बन सकें और भ्रष्टाचार के खिलाफ सामूहिक तरीके से लड़ सकें।
इस अद्वितीय समारोह के बावजूद, कुछ लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि यह क्या संकेत देता है? क्या इससे पश्चिम बंगाल की सियासी दृष्टि में बदलाव आएगा? चुनावी फैसले की यह अद्वितीयता क्या मतलब है? ये सवाल अब तक बदले जा नहीं सकते हैं, लेकिन इस असामान्य समारोह ने बंगाल की राजनीति में एक नई परिप्रेक्ष्य दिलाया है।