माननीय उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ एवं डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ ने आज ‘राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड’ के केंद्रीय राज्य फार्म, सूरतगढ़ का दौरा किया, और इस अवसर पर उन्होंने ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना’ के अंतर्गत आयोजित ‘FPO & कृषक संगोष्ठी’ को संबोधित भी किया।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जी ने राजस्थान में उनकी यात्राओं पर उठे सवालों पर पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी यात्राएँ मुख्यतः कृषि संबंधी संस्थानों और किसानों के विकास और उन्नति से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा की जब वह किसान के विकास के लिए काम कर रहे है तो कुछ लोगों को किस बात की आपत्ति व परेशानी हो रही है। किसान भारत की अर्थव्यवस्था की सबसे मज़बूत रीढ़ की हड्डी है और उनका हित साधना हम सबका कर्तव्य है।
श्री धनखड़ ने कहा – “मैं मालपुरा गया, वहां संस्थान है किसान से जुड़ा हुआ। मैं जोबनेर गया। मैं ICAR गया। भरतपुर, बीकानेर, गुड़ामालाणी गया। इन सब जगह इसलिए गया, क्योंकि ये किसान के विकास और उन्नति से जुड़ी हुई हैं! मन में पीड़ा होती है, जब इस तरीके का काम मैं कर रहा हूं, तो कुछ लोगों को आपत्ति क्यों है? किसान का हित साधना हम सब का कर्तव्य है!
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे हैं, केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, और हाई कोर्ट & सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने पहली बार संसद में उनका परिचय ‘किसान पुत्र’ के रूप में दिया था। उन्होंने कहा की किसान की सेवा मेरा संवैधानिक धर्म यही, मेरा कर्त्तव्य है।
कृषि में बदलावों की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि भारत के किसान को कृषि सम्बंधित तकनीक का पूरा फायदा उठाना ताकि आपकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हो सके। उन्होंने कहा की तकनीक न केवल उत्पादन के क्षेत्र में, बल्कि निर्यात, आयात, और विपणन के क्षेत्र में भी किसानो लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। उन्होंने कहा –
“किसान बदलाव का केंद्र बिंदु बने और किसान कृषि उत्पादों के व्यापार में अपना उचित स्थान बनाए! किसान, agricultural research and development का केंद्र बने और निर्यात में हमारे बच्चे प्रमुख भूमिका निभाएं!
पराष्ट्रपति ने आगे कहा कि कृषि उत्पादों का मार्केट बहुत बड़ा है, लेकिन इसमें किसानों की भागीदारी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने किसान को कृषि उत्पादकों के व्यापार पर अपना यथाउचित स्थान तथा कृषि सम्बंधित रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जिससे किसानों को समृद्धि की दिशा में अग्रसर करने और देश के निर्यात क्षेत्र में नए पीढ़ियों को अवसर मिले। उपराष्ट्रपति ने कहा –
“मैं मेरे किसान भाइयों से आग्रह करूंगा, उनको तकनीक का पूरा फायदा उठाना चाहिए! आपके उत्पादन की अगर गुणवत्ता बढ़ती है, तो उसका मूल्य कई गुना होता है। पर आप तक फायदा तब आयेगा जब उत्पादन के साथ उसकी मार्केटिंग और निर्यात में आपकी भागीदारी हो।