संकट कौन पैदा कर रहा है?’: बिल विवाद के बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने राज्य सरकार को फटकार लगाई

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कई राज्यों के राजभवनों द्वारा विधेयकों को दबाए रखने को लेकर विवाद के बीच, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर कई मौकों पर ‘सीमा पार करने’ का आरोप लगाया और पुष्टि की कि वह संविधान के अनुसार काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे सवाल किया कि क्या उन्होंने कभी राज्य में संकट पैदा किया है।

उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब केरल सरकार ने राज्यपाल द्वारा कुछ विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने और इसे अनिश्चित काल तक विलंबित करने का मुद्दा उठाते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

मुझे एक उदाहरण दिखाओ जहां मैंने सीमा लांघी हो । और मेरी अपनी सरकार ने कितनी बार सीमा पार की है, इसकी एक लंबी सूची है। तो संकट कौन पैदा कर रहा है?” खान ने आरोप लगाते हुए पूछा कि राज्य काफी समय से पेंशन और वेतन का भुगतान नहीं कर रहा है। उन्होंने सरकार द्वारा प्रायोजित वार्षिक कार्यक्रम केरलियम का भी जिक्र किया और कहा कि राज्य में ‘बड़ा जश्न मनाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, “हम बड़ा जश्न मना रहे हैं। हम दस लाख रुपये की लागत से स्विमिंग पूल बना रहे हैं।

8 नवंबर को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि खान संविधान के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य हैं। राज्यपाल ने पहले राज्य सरकार पर विधायिका का उपयोग अपने उद्देश्य से इतर उद्देश्यों के लिए करने का आरोप लगाया था।

खान ने कहा कि वह संविधान के अनुसार कार्य करते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते समय इसकी भावना का पालन करेंगे। उन्होंने दावा किया कि राज्यपाल की पूर्व अनुमति के बिना राज्य विधानसभा में धन विधेयक पारित नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय विधेयक धन विधेयक हैं और धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व मंजूरी के बिना विधानसभा द्वारा पारित नहीं किया जा सकता है।

इस बीच, कई राज्यों के राजभवनों में चुनी हुई सरकारों के साथ टकराव की स्थिति बन गई है। पिछले कुछ महीनों में, केरल के अलावा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब ने अपने- अपने राज्यपालों को निर्देश देने की मांग हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

पंजाब के राज्यपाल को लंबित विधेयकों पर ‘निर्णय लेने’ का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने राजभवन और राज्य सरकार दोनों के आचरण पर नाखुशी व्यक्त की। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “विधानमंडल के सत्र पर संदेह करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए खतरों से भरा होगा।

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