पुणे ग्रामीण पुलिस ने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर, मनोरमा खेडकर, दिलीप खेडकर और पांच अन्य के माता-पिता के खिलाफ पौड पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्राथमिकी एक स्थानीय किसान की शिकायत पर दर्ज की गई है जिसमें उसने मनोरमा खेडकर पर धमकी देने का आरोप लगाया है।
पौड़ पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के हवाले से बताया कि आईपीसी की धारा 323, 504 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस ने बताया कि इसमें शस्त्र अधिनियम के तहत भी आरोप शामिल किये गये हैं।
आईएएस अधिकारियों के 2023 बैच की पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी की उम्मीदवारी के दौरान खुद को ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर उम्मीदवार के रूप में गलत तरीके से पेश किया। इसके अलावा, उन्होंने दृश्य और मानसिक विकलांगता का दावा किया, लेकिन इन दावों को पुष्ट करने के लिए मूल्यांकन से इनकार कर दिया।
आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां द्वारा बंदूक लेकर लोगों के एक समूह को धमकाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है, जिससे विवादित नौकरशाह की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वीडियो में कैद घटना पूजा के पिता दिलीप खेडकर द्वारा पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में खरीदी गई जमीन से संबंधित है, जो महाराष्ट्र सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं।
स्थानीय निवासियों ने खेडकर पर पड़ोसी किसानों की ज़मीन पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया। फुटेज में मनोरमा खेडकर, सुरक्षाकर्मियों के साथ, पड़ोसियों के साथ तीखी बहस करती हुई नज़र आ रही हैं। वह एक आदमी पर चिल्लाते हुए दिखाई दे रही हैं और उनके हाथ में पिस्तौल है, जिसे बाद में वह अपने हाथ में छिपा लेती हैं।
पुणे ग्रामीण पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे वीडियो का संज्ञान लिया है। तथ्यों का पता चलने के बाद हम जांच शुरू करेंगे। हम जांच करेंगे कि मनोरमा खेडकर के पास बंदूक का लाइसेंस है या नहीं।
इस प्रकरण के संबंध में किसान कुलदीप पासलकर ने दावा किया कि मनोरमा खेडकर जबरदस्ती उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर रही हैं।
पासलकर ने आरोप लगाया, “वह अन्य किसानों को भी धमका रही है। वह कुछ सुरक्षा गार्डों के साथ मेरे प्लॉट पर आई और अपने हाथ में बंदूक लेकर हमें धमकाना शुरू कर दिया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यदि परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को दोषी पाया गया तो उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
केंद्र द्वारा गुरुवार को गठित एक सदस्यीय समिति, उनकी सिविल सेवा परीक्षा की उम्मीदवारी और उसके बाद सेवा में चयन के लिए प्रस्तुत सभी दस्तावेजों का पुनर्मूल्यांकन करेगी।
एक सूत्र ने कहा, “यदि अधिकारी दोषी पाई जाती है तो उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है। यदि यह पाया जाता है कि उसने तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है या अपने चयन के लिए जिन दस्तावेजों का सहारा लिया गया है उनमें किसी प्रकार की हेराफेरी की है तो उसके खिलाफ आपराधिक आरोप भी लगाए जा सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी की एकल सदस्यीय जांच समिति को दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।