लगभग एक पखवाड़े में पुलों के ढहने की घटनाओं में वृद्धि के बाद पहली कार्रवाई करते हुए, बिहार सरकार ने शुक्रवार को जल संसाधन और ग्रामीण कार्य विभाग के 15 इंजीनियरों को कथित लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया।
सरकार ने दो निर्माण कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि उन्हें काली सूची में क्यों न डाला जाए। 18 जून से अब तक राज्य भर में किशनगंज, अररिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीवान और सारण में दस पुल ढह गए हैं या धंस गए हैं। नौ पुलों/ पुलियों में से चार अकेले सीवान में गिरे थे।
कारण बताओ नोटिस जारी करने तथा दोषी ठेकेदारों और निर्माण कम्पनियों को काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू करने के अलावा सरकार उनमें से कुछ का भुगतान भी रोक रही है।
सरकार ने कहा, “राज्य के विभिन्न जिलों में कुल नौ पुल और पुलिया ढह गई हैं, जिनमें से छह पुल और पुलिया बहुत पुरानी थीं और तीन पुल और पुलिया निर्माणाधीन थीं।
जल संसाधन विभाग ने कार्यकारी अभियंताओं, सहायक अभियंताओं और कनिष्ठ अभियंताओं सहित 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
ग्रामीण कार्य विभाग ने भी अपने चार वर्तमान एवं पूर्व इंजीनियरों को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के कारण निलंबित कर दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इससे पहले बिहार में सभी निर्माणाधीन और पुराने पुलों के संबंध में दो सप्ताह के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट मांगी थी।
इन घटनाओं ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, नीतीश सरकार विपक्ष के साथ आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है कि इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए। भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर राज्य के सड़क निर्माण और भवन निर्माण मंत्री रहते हुए पुल रखरखाव के लिए मजबूत नीति नहीं बनाने का आरोप लगाया, जबकि बाद वाले ने कहा कि यह “केतली को काला बताने” जैसा मामला है।