ठाणे की एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए एक व्यक्ति को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। लड़की उसे अपना “मामा” मानती थी। अदालत ने कहा कि यह अपराध “जघन्य और घृणित” है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
विशेष पॉक्सो अदालत की न्यायाधीश रूबी यू मालवणकर ने 5 जुलाई को एक आदेश में कहा कि 54 वर्षीय आरोपी ने ठाणे की लड़की के साथ पालक मामा के रिश्ते का सम्मान नहीं किया।
आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध करायी गयी।
उस व्यक्ति को बलात्कार, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोस्को) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया।
विशेष लोक अभियोजक रेखा हिवराले ने अदालत को बताया कि पीड़िता, जो उस समय 16 वर्ष की थी, ने 2018 में पुलिस से शिकायत की थी कि वह अपने पिता और दो भाइयों के साथ महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मनपाड़ा इलाके में रहती थी।
अगस्त 2017 में, उनके दत्तक मामा, जो पेशे से रसोइया थे और अहमदनगर से थे, उनके घर रहने आये।
कुछ दिनों तक तो उसका व्यवहार ठीक रहा, लेकिन सितंबर से वह किसी बहाने से उसे छूने लगा, जब घर पर कोई नहीं होता था।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि एक रात जब लड़की का पिता नशे में था और सो रहा था, तो आरोपी ने उसे अनुचित तरीके से छुआ और उसके साथ बलात्कार किया।
जब ठाणे की लड़की चिल्लाई तो आरोपी ने उसका मुंह बंद कर दिया और धमकी दी कि अगर उसने घटना के बारे में किसी को बताया तो वह उसे जान से मार देगा।
धमकी के बाद लड़की ने अपराध के बारे में किसी को नहीं बताया और उसके बाद आरोपी अक्सर उसे अनुचित तरीके से छूता रहा।
जब उसने आरोपी से कहा कि वह अपने पिता को इस बारे में बता देगी तो आरोपी वहां से चले गए।
लड़की की शिकायत के आधार पर पुलिस ने 16 जून 2018 को एफआईआर दर्ज की।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी के खिलाफ साबित किया गया अपराध “बहुत जघन्य और घृणित” है।
अदालत ने कहा, “उसने 16 वर्ष से कम उम्र की एक लड़की के साथ यह अपराध किया, जो उसे ‘मामा’ कहकर बुलाती थी।”
आरोपी ने अपनी भतीजी जैसी लड़की के साथ पालक मामा के रिश्ते का सम्मान नहीं किया। ऐसे रिश्तेदारों के बीच इस तरह का कृत्य निश्चित रूप से स्वीकार्य नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए तथा इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए ताकि समाज में समान विचारधारा वाले लोगों को उचित संदेश दिया जा सके।”
अदालत ने आरोपी पर 22,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि यह राशि पीड़िता को उसके पुनर्वास के लिए दी जाएगी।
इसने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित को उचित मुआवजा देने के लिए फैसले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को भेजा जाए।