जस्टिस नजीर रिटायर, अयोध्या केस पर फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा, CJI ने बताया स्टेट्समैन
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. अब्दुल नजीर बुधवार को शीर्ष अदालत में छह साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो गए। वे नवंबर, 2019 में आए अयोध्या फैसले के समय अकेले अल्पसंख्यक चेहरे थे। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें लोगों के न्यायाधीश के रूप में बताते हुए कहा, “जस्टिस नजीर न केवल कानून के लिए बल्कि, कानून से प्रभावित लोगों के लिए समर्पित थे।” सीजेआई ने उन्हें पांच-न्यायाधीशों की बेंच में उनके योगदान के लिए एक ‘स्टेट्समैन’ के रूप में बताया। एक वकील के रूप में दो दशक का अभ्यास पूरा करने के बाद, जस्टिस नज़ीर को 2003 में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किया गया और फरवरी 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत कर दिया गया।
जस्टिस नजीर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए कुछ ऐतिहासिक फैसलों के शामिल रहे हैं। इन फैसलों में न्यायमूर्ति केएस पुटुस्वामी मामले (2017) में मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार का फैसला भी शामिल है। वहीं, वह तीन तलाक मामले में तत्कालीन सीजेआई जेएस खेहर के साथ हिस्सा थे। हाल ही में उन्होंने उस बेंच का नेतृत्व किया जिसने 4:1 के बहुमत से नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा। वहीं, वह एक हालिया संविधान पीठ के फैसले का भी हिस्सा थे, जिसमें कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत फ्री स्पीच के अधिकार में कोई और प्रतिबंध नहीं जोड़ा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई कार्यक्रम में अपने भाषण में जस्टिस नज़ीर ने महिला सशक्तिकरण पर संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के शब्दों को याद किया और कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अब भी बहुत कम है। जस्टिस नज़ीर कर्नाटक के एक छोटे से गांव से आते हैं। वे अपने परिवार में कानून की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति हैं। एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने न्यायमूर्ति नजीर को धर्मनिरपेक्षता का सच्चा अवतार बताया, जिन्होंने देश को पहले रखा।
दिल से किसान हैं जस्टिस नजीर, बोले CJI
इससे पहले दिन में जस्टिस नज़ीर औपचारिक बेंच पर CJI के साथ बैठे। यह शीर्ष अदालत में हर रिटायर होने वाले जज के लिए प्रथा है। इस दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “जस्टिस नज़ीर उस वर्ग से संबंधित नहीं हैं जो सही और गलत के बीच तटस्थ हो। वह जिसे सही पाएंगे, उसके लिए खड़े होंगे और सुनिश्चित करेंगे कि न्याय हो। मैं अयोध्या मामले में उनके साथ बैठा और देखा कि वह कितने महान स्टेट्समैन हैं।” चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति नजीर को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी करार देते हुए कहा कि उनकी पृष्ठभूमि बेहद विनम्र रही है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “वह (न्यायमूर्ति नजीर) दिल से एक किसान हैं और उन्होंने अपने चाचा के खेत पर पले-बढ़े हैं। भाई नज़ीर के लिए यह एक कठिन जीवन था। आप सभी को यह जानकर बहुत दुख होगा कि अपने शुरुआती वर्षों में पनमबर समुद्र तट (मेंगलुरु में) में न्यायमूर्ति नज़ीर ने मछलियां भी इकट्ठी की थीं। इसलिए, न्यायमूर्ति नज़ीर के लिए यह एक लंबी यात्रा रही है। “
