“मसाबा गुप्ता ने अपने पिता विवियन रिचर्ड्स और अपनी वित्तीय स्वतंत्रता से जुड़ी गलत धारणाओं के बारे में खुलकर बात की”

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मसाबा गुप्ता, भारतीय मोड़ल और फैशन डिज़ाइनर, ने हाल ही में अपने पिता विवियन रिचर्ड्स और अपनी वित्तीय स्वतंत्रता से जुड़ी गलत धारणाओं के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की। इसके पीछे की कहानी, सोसायटी, और कल्चर के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को झलकती है।

मसाबा गुप्ता का जन्म 2 नवम्बर 1988 को मुंबई में हुआ था। वह बॉलीवुड के एक प्रमुख अभिनेता विवियन रिचर्ड्स और एक सुंदर मिक्स-रेस अमेरिकी मां के बेटी हैं। मसाबा की पारंपरिक ख़गास और अनूठी खूबसूरती ने उन्हें एक जगह दिल में बैठा दी थी, जहाँ वह फैशन के क्षेत्र में करियर बना न सिर्फ रहीं, बल्कि मोड़ल और डिज़ाइनर के रूप में एक अद्वितीय पहचान बनाई।

मसाबा का डिज़ाइन करने का दौर पांच साल की आयु में ही शुरू हो गया था, जब वह अपनी मां के साथ न्यूयॉर्क गई थी। यहीं, उन्होंने फैशन और डिज़ाइन की दुनिया से पहली मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने इसमें करियर बनाने का निर्णय लिया।

मसाबा गुप्ता का स्वतंत्र और विविध डिज़ाइन उनकी पहचान बन गया है। वह अपने काम में भारतीय सभ्यता और पश्चिमी मोड़ का मिश्रण करती हैं, जिससे उनके डिज़ाइन अनूठे और आकर्षक होते हैं। उन्होंने विभिन्न फैशन शोज में अपने कलेक्शन प्रस्तुत किए हैं और उनके डिज़ाइन के लिए विश्वभर में प्रशंसा मिली है।

विवियन रिचर्ड्स, मसाबा के पिता, एक प्रमुख बॉलीवुड अभिनेता हैं। उनकी जीवनी में रंगीन और असामान्य कहानियों की भरमार है। विवियन ने भारतीय सिनेमा को अपने अद्वितीय अभिनय और अद्वितीय शैली से रंग दिया है और उनके कई हिट फ़िल्मों ने उन्हें बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेताओं में से एक बना दिया।

इसके बावजूद, मसाबा गुप्ता ने हाल ही में अपने पिता के साथ एक किंग्सिज़ क्लब में एक घटना के दौरान खुलकर बात की कि वह उनके साथ कितने ख़ास रिश्तों में हैं। वह बताई कि उनका रिश्ता कई सालों से टूटा हुआ था और वह अपनी मां के साथ एक मात्र संवाद स्रोत थीं।

इस बयान से साफ होता है कि मसाबा गुप्ता ने अपने पिता और अपने खुद के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के साथ जुड़े गलत धारणाओं को सार्वजनिक रूप से साझा किया है। इससे न केवल उनके रिश्तों का स्वरूप स्पष्ट हुआ है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सेलिब्रिटी और उनके परिवार के सदस्यों के बीच भी कई बार जीवन की चुनौतियों और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

समाप्ति रूप में, मसाबा गुप्ता के खुलकर बात करने से हमें यह सिखने को मिलता है कि दिन-ब-दिन के जीवन में हम सभी गलत धारणाओं और समस्याओं का सामना करते हैं और इससे हमारे रिश्तों को प्रभावित किया जा सकता है। मसाबा की यह खुलकरी बात एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें अपने रिश्तों को सजीव और स्वस्थ रखने के लिए संवाद और समझदारी की आवश्यकता होती है।

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