अधीर रंजन चौधरी ने हाल ही में एक आलोचना की है जिसमें वे भारत की विकास की दिशा में बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण दिक्कतों को उजागर किया है और नौकरी सृजन के समर्थन में भूमिका निभाई है। वे इस आलोचना में स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि भारत में विकास की दिशा में एक सीधी चुनौती है और उसमें अदालतपूर्ण अंतर हैं, जो समाज में बढ़ रहे हैं।
चौधरी ने उठाए गए मुद्दों के बारे में विस्तार से बताया कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों में जातिगत, आर्थिक और क्षेत्रीय अंतर हो रहे हैं। यह स्थिति दिग्भ्रंश को बढ़ा रही है और समाज में समान अवसरों की कमी को दर्शाती है।
वे इस समस्या का समाधान नौकरी सृजन में देखते हैं और भारत को विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नौकरियों की बढ़ती मांग की ओर प्रोत्साहित कर रहे हैं।
चौधरी का कहना है कि नौकरी सृजन भारत के लिए विकास की मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह लोगों को आर्थिक आधार पर सुरक्षितता और स्वावलंबी बनाने में मदद कर सकता है।
इस आलोचना ने भारत की समाज में हो रहे विशेष रूप से जातिगत और आर्थिक अंतरों की चुनौतियों को सामने लाया है और नौकरी सृजन की जरूरत को उजागर किया है ताकि भारत अपने विकास की दिशा में बढ़ सके।