रात में बिछाई जाती थी रेल पटरी, सुबह अपने आप उखड़ जाती, पढ़िए गोरखपुर की रोचक कहानी!

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रात में बिछाई जाती थी रेल पटरी, सुबह अपने आप उखड़ जाती, पढ़िए गोरखपुर की रोचक कहानी! 

गोरखपुर. गोरखपुर रेलवे स्टेशन की पहचान देश के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन के रूप में होती है. गोरखपुर रेलवे स्टेशन की लंबाई 1366.4 मीटर (4,483 फीट) है, जिसे भारत तथा दुनिया का सबसे लंबा रेलवे स्टेशन माना जाता है. इसी रेलवे ट्रैक से जुड़ा एक ऐसा किस्सा आपको बताने जा रहे हैं. जिसके सामने अंग्रजों ने भी घुटने टेक दिए थे. दरअसल यह बात उस समय की है. जब अंग्रेजों द्वारा गोरखपुर में रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी. यहीं पर रेलवे लाइन के बीचो बीच में एक दरगाह भी स्थित है. पढ़िए ये रोचक कहानी.

गोरखपुर रेलवे स्टेशन कई और आश्चचर्य के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि जब स्टेशन के पास रेल की पटरिया दिन भर बिछाई जाती थी, वह रात में अपने आप उखड़ जाती थीं. अंग्रेज अधिकारी परेशान हो गए. जिस पर उन्होंने यहां कार्य को रोक दिया. अधिकारी हैरान परेशान वी अपनी परेशानी का आलम भी नहीं बता पाते थे क्योंकि लोग उन्हें अंधविश्वास की वेदी पर चढ़ा देते थे.
शहीद बाबा का दरगाहदरगाह शरीफ लगभग 200 वर्ष प्राचीन है, जहां पर मुस्लिमों के साथ हिंदू धर्म के लोग भी भारी संख्या में सजदा करने आते हैं. विदित हो की यह दरगाह शरीफ गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर दो रेल लाइनों के मध्य स्थित है. जिन्हें यहां के लोगों के साथ अन्य दूसरे जनपदों के लोग रेलवे शहीद बाबा के नाम से जानते है.
मौलवी ने भी बताई रोचक जानकारी दरगाह की देखरेख करने वाले सुहैल अहमद ने दरगाह के बारे में जानकारी देते हुए बताया की यह दरगाह बहुत ही पुरानी है. यहां पर जो कोई अपनी मन्नत लेकर आता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है. उन्होंने बताया एक रात अंग्रेज रेल अधिकारी के सपने में हजरत साहब आए और बोले की अगर यहां रेल लाइन बिछानी है तो दरगाह के किनारे बिछाएं नहीं तो यहां आप कभी भी रेल लाइन नहीं बिछा पायेंगे. तभी उस अंग्रेज अधिकारी ने उस सपने को ध्यान में रखते हुए यह रेल लाइन दरगाह के किनारे- किनारे बिछाया.
लोगों के आस्था का बना केंद्र दरगाह पर मौजूद मोहम्मद असलम ने बताया की यह दरगाह हजरत बाबा मूशा शाह अलमतुल्लह के नाम से जानी जाती है. इसके पीछे भी एक मजार है, जो मंगल शाह बाबा के नाम से जानी जाती है. यहां पर मुस्लिमों के साथ हिंदू धर्म के लोग भी आते है और अपनी मन्नत मांगते है. मन्नत पूरी होने पर वह यहां पर शिन्नी का प्रसाद चढ़ाते हैं.

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